अनुपम प्राकृतिक सुन्दरता के लिए मशहूर मसूरी

पवन कुमार कल्ला

अनुपम प्राकृतिक सुन्दरता के लिए मशहूर, हिमालय पर्वत की गोद में बसी, सुकुमार प्रकृति से सरोबार, खिलखिलाती, मुस्कराती, रमणीक, सुरम्य स्थली है मसूरी जिसे बहारों की रानी के नाम से जाना जाता है।

मसूरी समुद्र तट से लगभग 2005 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चारों ओर हरी-भरी वादियाँ, मखमली हरियाली, शीतल वायु, रंग-बिरंगे फूलों की खुशबू से महक फैलाती मसूरी बरबस सैलानियों को अपनी ओर आकृष्ट करती है। यह पहाड़ों की मलिका 64.25 वर्ग किलोमीटर में फैली है। दून घाटी से मात्रा 36 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।

जब हम दून घाटी से मसूरी की ओर प्रस्थान करते हैं तब रास्ता पार करते समय हिमालय का अप्रतिम सौन्दर्य हमें ‘पधारो म्हारे देश’ का उद्घोष करता प्रतीत होता है। यही कारण है कि देशी सहित विदेशी सैलानियों का मसूरी में निरन्तर आगमन बना रहता है। मसूरी कुल मिलाकर सौन्दर्य का जीता-जागता स्वरूप है। प्राकृतिक खजाने के अलावा सूर्योदय एवम् सूर्यास्त के दृश्य मसूरी की शोभा में श्रीवृद्धि करते हैं।

हरिद्वार व सहारनपुर से मसूरी की दूरी प्रायः बराबर सी पड़ती है मगर हरिद्वार से यात्रा करना रोमांचक लगता है। कारण यह है कि शिवालिक पर्वत श्रेणियां एवम् प्राकृतिक नयनाभिराम दृश्य तथा उज्जवल जलधारा बहाती कल-कल करती नदियाँ हरिद्वार एवं देहरादून में ही सुलभ हैं।

मसूरी पर्वत से अगर हम 36 किलोमीटर नीचे दूर घाटी का रात्रि का दृश्य देखें तो हमें अलौकिक प्रतीत होगा। तरह-तरह की जगमगाती बत्तियों से रंग-बिरंगी रोशनी में नहाती दून घाटी उस समय अवर्णनीय दृश्य उपस्थित करती है।

मसूरी की खोज
मसूरी पर्वत की खोज का श्रेय अंग्रेज सैन्य अधिकारी मेजर हियरसे को जाता है जिन्होंने सन् 1811 में अपनी शिकारी यात्रा के दौरान इस अनुपम सौन्दर्य स्थल का पता लगाया था मगर मसूरी के विकास के आगाज का श्रेय मि. यंग को जाता है जिन्हांेने मुलिंगार नामक स्थान पर सर्वप्रथम एक भवन का निर्माण करवाया था। इस प्रकार से मसूरी का प्रचार-प्रसार बढ़ने लगा। इसी क्रम में 1826 में लैडार का इलाका अंग्रेजी फौजों का निवास स्थल बना।

मसूरी में धीरे-धीरे आवास और निवास का दौर बढ़ता ही चला गया और इसी क्रम में 1873 में मसूरी में म्युनिसिपल बोर्ड का निर्माण हुआ। फिर तो अंग्रेज अधिकारियों व राजा – महाराजाओं का मसूरी ग्रीष्मकालीन निवास बनता गया। वर्तमान प्रक्रिया तक मसूरी आधुनिक सुविधाओं से युक्त सुरम्य पर्वतीय स्थल है जहां हर कोई अल्पकालीन अथवा दीर्घकालीन भ्रमण करना चाहेगा। यह भी सच है कि सन् 1884 में डच भारत की भीषण गर्मी से बचने के लिए मसूरी में रहे थे।

मसूरी की जलवायु
मसूरी की जलवायु सामान्यतः उत्तम एवम् स्वास्थ्यवर्धक है। ऐसी मान्यता है कि यहां की जलवायु में भूख अधिक लगने लगती है। अप्रैल से अक्टूबर तक का यहां मौसम विशेष रूप से उत्तम रहता है। इसी कारण से जनसैलाब भी इन्हीं दिनों अधिक देखने को मिलेगा। हालांकि जुलाई-अगस्त में यहां घनघोर वर्षा होती है। 15 मई से 15 जुलाई तक यहां पीक सीजन रहता है। इसके अलावा दशहरे व दीपावली की छुट्टियों में यहां पर्यटकों का तांता लगा रहता है। नवम्बर में हालांकि मौसम तो सामान्य ही रहता है लेकिन सर्दी पहले के मुकाबले ज्यादा पड़ने लगती है। दिसम्बर से फरवरी तक यहां बर्फबारी होती है। उस समय स्नोफॉल एवम् स्केटिंग के शौकीन लोगों के आने का क्रम लगा रहता है।

सीजन कैसा भी हो, मसूरी अपनी ठण्डी रातों के लिए मशहूर है। रोजमर्रा के मौसम में भी रातें ठण्डी होती हैं तथा प्रातःकाल लगभग दस बजे तक हल्की गुलाबी ठण्ड रहती है इस कारण से पर्यटकों को सर्दियों के दिनों में तो भारी ऊनी वस्त्रा ले जाने चाहिएं। तथा गर्मियांे के दिनों में हल्के वस्त्रा तथा बरसाती अपने पास रखनी चाहिए।

मसूरी के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल
(1) कुलरी बाजार
यह लंढोर के घण्टाघर से शुरू होकर माल रोड तक जाता है। बीच रास्ते में पिक्चर पैलेस, जुबली सिनेमा, म्युनिसिपल हॉल, पोस्ट-ऑफिस तथा मसूरी क्लब पड़ते हैं। कुलरी बाजार मसूरी का प्रमुख बाजार है। यह माल रोड बेरियर से शुरू होता है तथा हेकमन्स होटल पर जाकर समाप्त होता है। अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित कुलरी बाजार में दवाईयों की दुकानें, डॉक्टर, रेस्टोरेन्ट, होटल, टेलीफोन एक्सचेंज, पिक्चर हॉल तथा पोस्ट ऑफिस इत्यादि की सुविधाएँ मुहैया हैं।

(2) लाइब्रेरी बाजार
इसे गाँधी चौक भी कहते हैं। इसका छोर लाइब्रेरी से आरम्भ होकर म्युनिसिपल गार्डन तक जाता है। घूमने के लिए घोड़ा तथा रिक्शा उपलब्ध रहते हैं। इस चौक में टैक्सी आदि की विशेष परमिशन लेनी पड़ती है। यहां पैदल भ्रमण में विशेष आनन्द आता है। लाइब्रेरी बाजार में मुख्य आकर्षण बच्चों का पार्क है जहां बच्चों के दिल बहलाने के लिए अनेक आकर्षण हैं तथा बड़ों के दिल बहलाने के लिए स्केटिंग हाल भी है। मसूरी का प्रसिद्ध सेवाय होटल भी इसी परिक्षेत्रा में पड़ता है।

(3) लंढौर बाजार
यह मसूरी की पुरानी झलक का प्रतीक है। यह बाजार मसूरी का सबसे पुराना बाजार है। पुराने समय के होटल व दुकानें आज भी यहां मौजूद हैं। यह लगभग एक किलोमीटर की परिधि में फैला है। मसूरी का सबसे पुराना भवन मुलिंगार इसी बाजार में हैं। दिगम्बर जैन मन्दिर, आर्य समाज मन्दिर इसी क्षेत्रा में अवस्थित हैं।

(4) सुरकण्डा देवी मन्दिर
समुद्रतल से 10 हजार फीट ऊँचाई पर यह मन्दिर स्थित है। मन्दिर तक पहुँचने के लिए दो किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यहां तक जाने के लिए गढ़वाल मण्डल विकास निगम की बसें उपलब्ध रहती हैं। मंदिर के शीर्ष स्थल पर पहुंचने पर वहां से हिमालय के खूबसूरत नजारे देखे जा सकते हैं। अगर मौसम साफ हो तब तो यहां से चारों तरफ के नजारे देखते ही बनते हैं। यह देवी सुरेश्वरी को समर्पित हैं। पहले यहां बलि प्रथा थी मगर अब यह प्रथा बन्द है।

(5) मसूरी झील
यह मसूरी देहरादून मार्ग पर स्थित है। मसूरी से मात्रा 7 किलोमीटर दूर है। आधुनिक रूप से यह झील सुसज्जित है। ऐसा लगता है मानो मसूरी के प्रवेशद्वार पर खड़ी यह देहरादून से आने वाले यात्रियों का स्वागत कर रही हो। झील में पैडल बोट की सुविधा है तथा आसपास खाने-पीने की दुकानें हैं। झील में नौकायन हेतु निर्धारित समय के लिए निर्धारित शुल्क लिया जाता है। जब हल्की वर्षा का समय हो अथवा वर्षा आकर चली गई हो, तब यहां का दृश्य बहुत सुन्दर हो जाता है। मनोरम दृश्य वाली यह झील मसूरी का अच्छा पिकनिक स्पॉट है।

(6) झड़ी पानी प्रपात
यह मसूरी से लगभग साढ़े आठ कि.मी. दूर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए 7 कि.मी. तक का रास्ता तो बस अथवा टैक्सी द्वारा तय किया जा सकता है। आगे का डेढ़ किलोमीटर का रास्ता पर्यटक को स्वयं ही पैदल चलकर तय करना होता है। तब झड़ी पानी प्रपात तक पहुँचते हैं। यह मन को सुकून देने वाला स्थल है जो प्राकृतिक रूप से सुन्दर होने के साथ-साथ शांति का अहसास कराता है।

उक्त पर्यटन स्थलोें के अलावा मसूरी में और भी महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं जिन्हें देखने के लिए हमें पर्याप्त समय लेकर आना चाहिए। लाल टिब्बा, गनहिल, म्युनिसिपल गार्डन, कैम्पटी फॉल, लेकमिस्ट, वन चेतना केन्द्र, लाल टिब्बा, धनोल्टी आदि अन्य पर्यटन स्थल हैं जो सप्ताह भर की यात्रा के दौरान देखे जा सकते हैं। खाने-पीने व रहने के लिए उत्तम बन्दोबस्त के साथ मसूरी में आवागमन के पर्याप्त साधन मौजूद हैं।

India Edge News Desk

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